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यादें और चुप्पियां

यादें और चुप्पियां:
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सभी पुरानी यादें ले कर नव-वर्ष इस बार भी आया था,
कुछ पुरानी यादों ने हमको बहुत रुलाया था।

मग़र यादों को एक तरफ़ रख हमने माता का ध्यान किया,
माता ने ही हमेशा हमको नवल प्रेरणा और उत्साह दिया।

नयी स्फ़ूर्ति ,नया साहस और नया जोश प्रवाहित होता है
मां का नाम जब आता लबों पर कोई दुख दिल मे न रहता है।

बहुत दिनो से चुप बैठ कर हम धैर्य खो बैठे थे,
न था कोई उत्साह हृदय में हम हतोत्साहित हो रहते थे।

दोस्तों से भी मिलना-जुलना हम ने अचानक छोड़ दिया,
अजब हाल था हुआ हमारा जैंसे जीवन ज़ीना छोड़ दिया।

यादों का अपना महत्व है मग़र ज़िन्दगी जरूरी‌ है,
दुख-सुख को एक तरफ़ रख आगे बढ़ना जरूरी है।

जब तक सांसों मे सांस है तब तक ज़िन्दा रहना है,
ज़िन्दगी को पूरे तन-मन से जीवन्त सभी को रखना है।

न चुप रह कर कांटो जीवन,न आंसू रोज़ बहाने हैं,
ख़ुश रह कर के खुशियां बांटो यही सद्जीवन के पैमाने हैं।
आनन्द कुमार मित्तल, अलीगढ़

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7 Comments

Punam verma

09-Jan-2023 10:39 AM

Nice

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Abhinav ji

09-Jan-2023 07:56 AM

Very nice 👌👍

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बहुत ही सुंदर सृजन और शब्द संयोजन बेहतरीन

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